नईं दिल्ली, (भाषा)। लोकपाल के मुद्दे पर अन्ना हज़ारे द्वारा सरकार को जाहिरा तौर पर सीधी चुनौती देने की घोषणा करने के बाद 16 अगस्त को उनके गिरफ्तार होने से रामलीला मैदान पर आज अनशन तोड़ने तक 12 दिन काफी ज्यादा उतार चढ़ाव भरे रहे।
उनका 290 घंटे चला अनशन आज सुबह खत्म हुआ। उनके गिरफ्तार होने और तिहाड़ जेल जाने के समय जुटी भीड़ से भी कहीं अधिक समर्थक आज रामलीला मैदान पर इकट्ठा हुए।
घटनामों की शुरुआत 15 अगस्त से हुईं थी जब अन्ना हज़ारे ने घोषणा की कि वह 16 अगस्त से आमरण अनशन करने के अपने इरादे पर कायम हैं।
इसके बाद 16 अगस्त की सुबह करीब साढ़े सात बजे से लेकर रविवार सुबह 10 बजकर 15 मिनट पर टूटे हज़ारे के अनशन तक काफी उतार चढ़ाव वाले ghatanakram देखे गये। स्वतंत्रता दिवस की अगली सुबह हज़ारे जब जयप्रकाश नारायण पार्क पर अनशन पर बैठने के लिये रवाना होने वाले थे तभी मयूर विहार स्थित एक फ्लैट से उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और तिहाड़ जेल भेज दिया गया। उसी शाम सरकार के रुख में अचानक नरमी आयी और हज़ारे तथा अन्य साथी कार्यंकर्ताओं की रिहाईं के आदेश जारी कर दिये गये।
हज़ारे हालांकि अड़ गये और उन्होंने कहा कि वह तब तक तिहाड़ जेल से बाहर नहीं निकलेंगे जब तक पुलिस उन्हें अनशन के लिये बिना शर्त जगह नहीं दे देती। बातचीत के कईं दौर के बाद गतिरोध दूर हुआ और पुलिस ने रामलीला मैदान पर अनशन करने की हज़ारे को अनुमति दे दी। आखिरकार तिहाड़ जेल परिसर में 67 घंटे के अनशन के बाद 19 अगस्त को हज़ारे बाहर आये और एक विशाल रैली निकालकर दोपहर दो बजे रामलीला मैदान पहुंच गये। अन्ना के रामलीला मैदान पहुंचने के बाद भी हज़ारे पक्ष और सरकार में गतिरोध कायम रहा।
लेकिन 23 अगस्त को अचानक घटनाम बदल गये और दोनों पक्षों के बीच बातचीत शुरू हुईं। हज़ारे पक्ष के प्रति कड़े तेवर रखने वाले केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल और पी. चिदंबरम के बजाय बातचीत के लिये अन्य केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद और विलासराव देशमुख सािय हुए। दोनों पक्षों के बीच गतिरोध दूर करने की कांग्रेस सांसद संदीप दीक्षित और भैय्यू महाराज ने भी कोशिश की।
इसी बीच, स्वामी अग्निवेश हज़ारे पक्ष से अलग हो गये और मेधा पाटकर सिविल सोसायटी की नईं वार्ताकार के रुप में उभरीं। 23 अगस्त की ही शाम प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने हज़ारे को पत्र लिखकर संवाद साधने की दिशा में आगे कदम बढ़ाया। 24 अगस्त को हज़ारे पक्ष वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी से बातचीत करने पहुंचा लेकिन दोनों पक्षों के बीच बातचीत बेनतीजा रही। किरण बेदी ने कहा कि सरकार कल हमारी बात सुन रही थी, आज वह हमें सुना रही है। भाजपा द्वारा अपना रुख स्पष्ट नहीं करने के हज़ारे पक्ष के आरोपों के बीच 25 अगस्त को भाजपा प्रवक्ता जगत प्रकाश नड्डा और विनय सहस्त्रबुद्धे पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी का समर्थन पत्र लेकर हज़ारे के पास पहुंचे। इसी शाम कंेद्रीय मंत्री देशमुख भी रामलीला मैदान पहुंचे और करीब 10 मिनट हज़ारे से चर्चा की। हज़ारे ने देशमुख के जरिये प्रधानमंत्री को अपना संदेश भी पहुंचाया। 26 अगस्त को हज़ारे ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कहा कि अगर संसद जनलोकपाल के विषय में उनके उठाये तीन मुद्दों - केंद्र में लोकपाल के साथ ही राज्यों में लोकायुक्त का गठन, केंद्र सरकार के सभी स्तर के कर्मियों को लोकपाल के दायरे में लाना और विभागों में तय समय के भीतर काम पूरे करने के लिये नागरिक संहिता :सिटीजन चार्टर: बनाना - पर प्रस्ताव पारित कर दे तो वह अपना अनशन तोड़ देंगे।
छब्बीस अगस्त की ही रात अरविंद केजरीवाल और प्रशांत भूषण ने केंद्रीय मंत्री खुर्शीद से मुलाकात भी की। सत्ताईंस अगस्त को शनिवार होने के बावजूद संसद के दोनों सदनों की विशेष बैठक बुलाईं गयी। हालांकि, स्थिति स्पष्ट नहीं होने के चलते केजरीवाल और भूषण खुर्शीद से फिर मुलाकात करने गये। खुर्शीद के अपने आवास पर नहीं होने के चलते दोनों ने उनसे फोन पर बातचीत की लेकिन बाद में आरोप लगाया कि केंद्रीय मंत्री मुकर गये हैं और बता रहे हैं कि अब संसद में सिर्फ चर्चा होगी और कोईं प्रस्ताव पारित नहीं होगा।
इससे ऐसा प्रतीत हुआ कि दोनों पक्षों के बीच बातचीत फिर टूट सकती है। हज़ारे का अनशन तुरंत खत्म होने की संभावनाओं पर भी संदेह के बादल मंडराने लगे। बहरहाल, शनिवार देर शाम तक संसद के दोनों सदनों की बैठक चली और हज़ारे के उठाये मुद्दों पर सैद्धांतिक मंजूरी जताता सदन की भावना वाला प्रस्ताव पारित हो गया।
रात नौ बजे केंद्रीय मंत्री देशमुख और कांग्रेस सांसद दीक्षित रामलीला मैदान पहुंचे और उन्होंने हज़ारे को प्रधानमंत्री का लिखा वह पत्र सौंपा जिसमें उनसे अनशन अविलंब तोड़ने का अनुरोध किया गया था। हज़ारे ने तुरंत घोषणा की कि वह रविवार सुबह 10 बजे अपना अनशन तोड़ देंगे।
हज़ारे ने आज सुबह सवा दस बजे दो बच्चियों सिमरन और इकरा के हाथों से नारियल पानी और शहद पीया। इसी के साथ 290 घंटे चला उनका अनशन भी खत्म हो गया।
साभार - वीर अर्जुन
उनका 290 घंटे चला अनशन आज सुबह खत्म हुआ। उनके गिरफ्तार होने और तिहाड़ जेल जाने के समय जुटी भीड़ से भी कहीं अधिक समर्थक आज रामलीला मैदान पर इकट्ठा हुए।
घटनामों की शुरुआत 15 अगस्त से हुईं थी जब अन्ना हज़ारे ने घोषणा की कि वह 16 अगस्त से आमरण अनशन करने के अपने इरादे पर कायम हैं।
इसके बाद 16 अगस्त की सुबह करीब साढ़े सात बजे से लेकर रविवार सुबह 10 बजकर 15 मिनट पर टूटे हज़ारे के अनशन तक काफी उतार चढ़ाव वाले ghatanakram देखे गये। स्वतंत्रता दिवस की अगली सुबह हज़ारे जब जयप्रकाश नारायण पार्क पर अनशन पर बैठने के लिये रवाना होने वाले थे तभी मयूर विहार स्थित एक फ्लैट से उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और तिहाड़ जेल भेज दिया गया। उसी शाम सरकार के रुख में अचानक नरमी आयी और हज़ारे तथा अन्य साथी कार्यंकर्ताओं की रिहाईं के आदेश जारी कर दिये गये।
हज़ारे हालांकि अड़ गये और उन्होंने कहा कि वह तब तक तिहाड़ जेल से बाहर नहीं निकलेंगे जब तक पुलिस उन्हें अनशन के लिये बिना शर्त जगह नहीं दे देती। बातचीत के कईं दौर के बाद गतिरोध दूर हुआ और पुलिस ने रामलीला मैदान पर अनशन करने की हज़ारे को अनुमति दे दी। आखिरकार तिहाड़ जेल परिसर में 67 घंटे के अनशन के बाद 19 अगस्त को हज़ारे बाहर आये और एक विशाल रैली निकालकर दोपहर दो बजे रामलीला मैदान पहुंच गये। अन्ना के रामलीला मैदान पहुंचने के बाद भी हज़ारे पक्ष और सरकार में गतिरोध कायम रहा।
लेकिन 23 अगस्त को अचानक घटनाम बदल गये और दोनों पक्षों के बीच बातचीत शुरू हुईं। हज़ारे पक्ष के प्रति कड़े तेवर रखने वाले केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल और पी. चिदंबरम के बजाय बातचीत के लिये अन्य केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद और विलासराव देशमुख सािय हुए। दोनों पक्षों के बीच गतिरोध दूर करने की कांग्रेस सांसद संदीप दीक्षित और भैय्यू महाराज ने भी कोशिश की।
इसी बीच, स्वामी अग्निवेश हज़ारे पक्ष से अलग हो गये और मेधा पाटकर सिविल सोसायटी की नईं वार्ताकार के रुप में उभरीं। 23 अगस्त की ही शाम प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने हज़ारे को पत्र लिखकर संवाद साधने की दिशा में आगे कदम बढ़ाया। 24 अगस्त को हज़ारे पक्ष वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी से बातचीत करने पहुंचा लेकिन दोनों पक्षों के बीच बातचीत बेनतीजा रही। किरण बेदी ने कहा कि सरकार कल हमारी बात सुन रही थी, आज वह हमें सुना रही है। भाजपा द्वारा अपना रुख स्पष्ट नहीं करने के हज़ारे पक्ष के आरोपों के बीच 25 अगस्त को भाजपा प्रवक्ता जगत प्रकाश नड्डा और विनय सहस्त्रबुद्धे पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी का समर्थन पत्र लेकर हज़ारे के पास पहुंचे। इसी शाम कंेद्रीय मंत्री देशमुख भी रामलीला मैदान पहुंचे और करीब 10 मिनट हज़ारे से चर्चा की। हज़ारे ने देशमुख के जरिये प्रधानमंत्री को अपना संदेश भी पहुंचाया। 26 अगस्त को हज़ारे ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कहा कि अगर संसद जनलोकपाल के विषय में उनके उठाये तीन मुद्दों - केंद्र में लोकपाल के साथ ही राज्यों में लोकायुक्त का गठन, केंद्र सरकार के सभी स्तर के कर्मियों को लोकपाल के दायरे में लाना और विभागों में तय समय के भीतर काम पूरे करने के लिये नागरिक संहिता :सिटीजन चार्टर: बनाना - पर प्रस्ताव पारित कर दे तो वह अपना अनशन तोड़ देंगे।
छब्बीस अगस्त की ही रात अरविंद केजरीवाल और प्रशांत भूषण ने केंद्रीय मंत्री खुर्शीद से मुलाकात भी की। सत्ताईंस अगस्त को शनिवार होने के बावजूद संसद के दोनों सदनों की विशेष बैठक बुलाईं गयी। हालांकि, स्थिति स्पष्ट नहीं होने के चलते केजरीवाल और भूषण खुर्शीद से फिर मुलाकात करने गये। खुर्शीद के अपने आवास पर नहीं होने के चलते दोनों ने उनसे फोन पर बातचीत की लेकिन बाद में आरोप लगाया कि केंद्रीय मंत्री मुकर गये हैं और बता रहे हैं कि अब संसद में सिर्फ चर्चा होगी और कोईं प्रस्ताव पारित नहीं होगा।
इससे ऐसा प्रतीत हुआ कि दोनों पक्षों के बीच बातचीत फिर टूट सकती है। हज़ारे का अनशन तुरंत खत्म होने की संभावनाओं पर भी संदेह के बादल मंडराने लगे। बहरहाल, शनिवार देर शाम तक संसद के दोनों सदनों की बैठक चली और हज़ारे के उठाये मुद्दों पर सैद्धांतिक मंजूरी जताता सदन की भावना वाला प्रस्ताव पारित हो गया।
रात नौ बजे केंद्रीय मंत्री देशमुख और कांग्रेस सांसद दीक्षित रामलीला मैदान पहुंचे और उन्होंने हज़ारे को प्रधानमंत्री का लिखा वह पत्र सौंपा जिसमें उनसे अनशन अविलंब तोड़ने का अनुरोध किया गया था। हज़ारे ने तुरंत घोषणा की कि वह रविवार सुबह 10 बजे अपना अनशन तोड़ देंगे।
हज़ारे ने आज सुबह सवा दस बजे दो बच्चियों सिमरन और इकरा के हाथों से नारियल पानी और शहद पीया। इसी के साथ 290 घंटे चला उनका अनशन भी खत्म हो गया।
साभार - वीर अर्जुन
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