धर्म संस्कृति

उज्जैन के स्वर्गद्वारेश्वर मंदिर दर्शन मात्र से मनुष्य के लिए स्वर्ग के द्वार ‍खुल जाते हैं
लोक मान्यता है कि उज्जैन के स्वर्गद्वारेश्वर मंदिर के दर्शन मात्र से मनुष्य के लिए स्वर्ग के द्वार ‍खुल जाते हैं। चौरासी महादेव यात्रा में नौवें क्रम पर स्वर्गद्वारेश्वर महादेव का मंदिर आता है। गौरतलब है कि खंदार मोहल्ला में नलिया बाखल स्थित श्री स्वर्गद्वारेश्वर महादेव के पूजन-अर्चन से    स्वर्ग की प्राप्ति होती है तथा मोक्ष मिलता है।

पुराणों में अंकित जानकारी अनुसार अश्विनी तथा उमा की बहनें, कैलाश पर्वत पर उमा से मिलने आईं तथा यज्ञ में बुलाने पर पिता के यहां यज्ञ में गईं। वहां उन्हें पता चला कि उनके पति को आमंत्रित नहीं किया गया है। तब उमा ने अपमानित हो प्राण त्याग दिए।
जब उमा पृथ्वी पर अचेतन दिखीं तो सैकड़ों गण क्रोधित होकर वहां पहुंचे और युद्ध शुरू कर
दिया।इस बीच वीरभद्र गण ने इंद्र को त्रिशूल मार दिया। ऐरावत हाथी को मुष्ठी से प्रहार कर ताड़ित किया।
यह देख विष्णुजी को क्रोध आया और सुदर्शन चक्र फेंका। उसने गणों का नाश किया। गण घबराकर महादेव के पास गए। महादेव ने गणों को स्वर्ग के द्वार पर भेज दिया। 
जब देवताओं को स्वर्ग की प्राप्ति नहीं हुई तो वे ब्रह्मा के पास गए। ब्रह्मा ने महादेव की आराधना करने को कहा।
इंद्र देवताओं सहित महाकाल वन में कपालेश्वर के पूर्व में स्थित द्वारेश्वर गए। पूजन कर स्वर्गद्वारेश्वर के दर्शन मात्र से स्वर्ग के द्वार खुल गए। तबसे श्री स्वर्गद्वारेश्वर महादेव प्रसिद्ध हुए।
इस मंदिर के संबंध में यह मान्यता है कि इनका दर्शन मात्र कर लेंगे वे बिना प्रयत्न के स्वर्ग में प्रवेश पाएंगे।
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