नौ की दवा सौ का धंधा, एंिटंवाइटिक कानून मे नही प्राबधान, मरीजो की जेबकटार्इ डाक्टरों की कमार्इ, एक्सपायरी डेट की दवाओ की ब्रिकी मे खेल, डेट बदलकर कर दी जाती मरीजो को सेल

हाथरस। जनपदभर मे ऐटिवाइटिक दवाओ के नाम पर प्रतिदिन हजारो मरीजो को ठगा जाता है। ठगार्इ का यह खेल खुलेआम एक नंबर मे होता है। जिसके कारण इस धन्धो को कर रहे डाक्टरो पर कानूनी शिकजा नही कसा जा सकता। इसके अलावा जनपद भर मे चार सौ से अधिक दवा की दुकाने अवैध है। जिन पर इस धंधे से जुड़े कलाकारो के द्वारा जीवन रक्षक दवाओ के नाम पर जहर बेचा जा रहा है।इन पर काफी संख्या मे मौत बांटने वाली दवा बेची जाती है। ज्ञात हो कि जब भी किसी रोग का मरीज किसी बडे नर्सिग होम पर जा
ता है तो वहां बैठे डाक्टर ऐटिंवाइटिक जरूर लिखते है। अधिकतर नर्सिग होम संचालको ने अपने अपने दवा स्टोर खोल रखे है। डाक्टर जो ऐटिवाइटिक पर्चे पर लिखता है वह ऐटिवाइटिक सिर्फ उसी दवा स्टोर पर मिलता है जो कि जेनिक होता है। जिस पर 135 मूल्य प्रिन्ट होता है। जिसका मरीजो को इस बात का ज्ञान नही होता। जानकारी के अभाव मे मरीज शीघ्र ठीक होने की लालसा मन मे लेकर इन ऐटिंवाइटिक को खरीदकर इस्तेमाल करता है। उसे इस बात की भनक भी नही लगती की ऐटिंवाइटिक के खेल मे डाक्टर उसकी जेब पर डाका डाल रहे है। जबकि बडे बडे साइनबोर्ड लगा कर खोले गये नर्सिग होमो पर मरीजो के विश्वास का खून कर दिया जाता है। जबकि इन आलीशान बिल्डिगों मे नर्सिगहोम पर बैठे डाक्टर का कर्तव्य होता है कि वह मरीज को एटिंवाइटिक तो लिखे लेकिन जेनिक न लिखकर, रेनवेक्सी सिप्ला, लूपिन, सारामार्इ जैसे ब्रान्ड नेम कपंनियो के लिखे जो कि मानको की कसौटी पर खरे होते है। और मरीज को तत्काल लाभ पहुचाते हैॅ। परन्तु अधिकतर नर्सिग होमो पर बैठे डाक्टर इन कंपनियो के ऐटिंवाइटिक कमीशन कम होने के कारण लिखने मे परहेज करते और वह ............ जैसे एटिवाइटिक लिखते है जो कि 10 से बीस गुना एमआरपी प्रिन्ट वाले होते है साथ ही मानको की कसौटी पर खरे नही होते है। इस गडबड़झाले को रोकने के लिये कानून भी नही है तो इस गोरखधंधे को करने वाले लोगों को कौन पकडे हां मानको के विपरित वाले एटिंवाइटिको की जांच व सेम्पलिंग करने की जिम्मेदारी ड्रग इस्पैक्टर की तो है लेकिन कपंनियो के आने वाले एजेन्टो से इनकी अन्दर खाने बंद कमरो मे होने वाली गुफतगु के कारण यह भी कार्यवाही करने से कतराते नजर आते हैं। एक्सपायरी डेट की दवाओ की ब्रिकी मे खेल, डेट बदलकर कर दी जाती मरीजो को सेल- हाथरस। जनपद भर मे लगभग चार सौ मेडिकल स्टोर ऐसे है जो कि बिना लाइसेन्स के फजीवाडे से चल रहे है। इन पर काफी संख्या मे मौत बांटने वाली दवा बेची जाती है ओर मरीज खरीदते भी है। ऐसे ही एक मेडिकल स्टोर पर काम करने वाले कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर चौकाने वाली बात बतार्इ उसका कहना था की आगरा, अलीगढ, गाजियाबाद, दिल्ली से एक्सपायरी डेट की दवाये कोरियर से 20 रूपये किलो के हिसाब से भारी मात्रा मे हाथरस लार्इ जाती है। इस काम मे लगे लोग बंद कमरो मे एक कैमिकल के द्वारा उनके ऊपर एक्सपायरी की पडी तारीख को मिटा कर नर्इ एक्सपायरी डेट डाल देते है। इस तरह की दवाये करीब सभी मेडिकल स्टोरो पर आसानी से कंपनी रेटो से कम रेटो पर बिकने भेज दी जाती है। और वहां से यह मरीज के पास पहुच जाती है। धनलोलुपता मे फंसे ऐसे मौत के सौदागरो को इस बात से मतलब नही होता कि इन दवाओ को खाने वाला मरीज जिन्दा रहेगा या फिर मर जायेगा।

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