लखनऊ, एजेंसी। उत्तर प्रदेश में चुनावी सरगर्मी अभी से ही तेज होने लगी है। इस बात को इससे समझा जा सकता है कि उत्तर प्रदेश में भले ही विधानसभा के आम चुनाव में अभी डेढ़ साल का वक्त बाकी है, लेकिन राज्य सरकार अपनी छवि बनाने को फिक्रमंद हो गई है। सरकार चाहती है कि वह एक साफ-सुथरी छवि लेकर चुनावों के दौरान आम जनता के बीच जाए। सरकार के लिए चिंता का विषय यह है कि विपक्ष के आरोप-प्रत्यारोप उसकी उपलब्धियों पर भारी पड़ रहे हैं। ऐसे में वह चाहती है कि मीडिया में उसकी उपलब्धियों से जुड़ी खबरें ज्यादा जगह पाएं ताकि अच्छी जन धारणा बने। इसी के दृष्टिगत पिछले हफ्ते प्रदेश के जिला सूचना अधिकारियों को लखनऊ बुलाकर दो दिनों तक सीख दी गई कि उन्हें बदलने की जरूरत है। उनके लिए नये सिरे से कई योजनाएं तैयार की गई हैं। इसके लिए कामकाज की शैली में बदलाव पर बल दिया जा रहा है। जिला सूचना अधिकारियों से अपने कामकाज की शैली बदलने को कहा गया है। साथ ही क्षेत्रों में ज्यादा से ज्यादा काम करने पर जोर दिया गया है। उनसे कहा गया है कि बयान नहीं मायावती सरकार के कार्यकाल की सफलताओं को लोगों के बीच ले जाया जाए। सरकार की योजना से लाभान्वित होने के बाद किसी परिवार या क्षेत्र की शक्ल-ओ-सूरत बदल जाने के तमाम उदाहरण जिलों में मौजूद होंगे। यह माना गया है कि स्थानीय स्तर पर जिलाधिकारी और स्थानीय संवाददाताओं से बेहतर समन्वय भी जरूरी होगा।
ऐसे में जिला सूचना अधिकारियों से जिलाधिकारियों से नियमित संपर्क में रहने को तो कहा ही गया है, साथ ही उन पर जिम्मेदारी भी डाली गई है कि वे स्थानीय संवाददाताओं और जिलाधिकारियों से दोस्ताना सम्बंध स्थापित कराएंगे। साभार राष्ट्रीय उजाला
ऐसे में जिला सूचना अधिकारियों से जिलाधिकारियों से नियमित संपर्क में रहने को तो कहा ही गया है, साथ ही उन पर जिम्मेदारी भी डाली गई है कि वे स्थानीय संवाददाताओं और जिलाधिकारियों से दोस्ताना सम्बंध स्थापित कराएंगे। साभार राष्ट्रीय उजाला
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